Thursday 31 March 2016

पौरुष शक्ति बढ़ाने में लाजवाब है बरगद

बरगद का ये प्रयोग शीघ्र पतन, स्वपनदोष, कमज़ोरी, प्रमेह, वीर्य का पतलापन और अन्य वीर्य विकार दूर करके, काम शक्ति एवं शुक्रवर्धक, स्पर्म बढाने वाला, विवाहित जीवन में भरपूर आनंद दिलाने वाला है। ये प्रयोग बेहद सस्ता और चमत्कारिक परिणाम देने वाला है। ये प्रयोग वीर्य विकार और कमज़ोरी से ग्रस्त रोगियों के लिए अच्छे से अच्छे बल वीर्य वर्धक नुस्खों से कहीं अच्छाहै।काम शक्तिवर्धक एवं शुक्रवर्धक गुण बरगद में समाये हुए है। बरगद के वृक्ष में लाल लालछोटे छोटे बेर के समान फल लगते है। बरगद के पेड़ के ये लाल लाल पके हुए फल हाथ से तोड़ें। ज़मीन पर गिरे हुए न लें। इनको ज़मीन पर कपडा बिछा कर छाया में सुखाएं। सूखने के बाद पत्थर पर पीसकर पाउडर बना लें। सुखाते समय पीसते समय लोहे का उपयोग नहीं होना चाहिए। लोहे से इन्हे नहीं छूना है। इस पाउडर के तोलके बराबर पीसी हुयी मिश्री मिला लें। मिश्रीभी पत्थर पर ही पीसें। भली प्रकार मिश्री और बरगद के फलों के पाउडर को मिलाकर मिटटी के बर्तन में सुरक्षित रखें। इसकी आधी चम्मच सुबह शाम दो बार गर्म दूध से फंकी लें। इससे शीघ्र पतन समाप्त होकर काम शक्ति प्रबल हो जाती है। विवाहित जीवन का भरपूर आनंद आता है। शारीरिक स्वास्थय अच्छा होकर चेहरे पर ललाई चमकने लगती है। इस सस्ते लेकिन मेहनत से भरपूर प्रयोग को करके देखें।बच्चे पैदा करने वाले कीटाणु (स्पर्म) यदि वीर्य में ना हो तो इस प्रयोग से बच्चे पैदा करने वाले कीटाणु वीर्य में पैदा हो जाते हैं। आदमी बच्चे पैदा करने योग्य हो जाता है। शुक्राणुओं के न होने से जो पुरुष बच्चे पैदा करने के अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं, वो इस प्रयोग को ज़रूर करें, और ये प्रयोग करने के बाद अपना अनुभव ज़रूर बताएं, जिस से और लोगों को भी ये प्रयोग करने की प्रेरणा ले सकें।अन्य प्रयोग।बरगद की कली, डंठल को तोड़कर इससे निकलने वालेदूध की पांच बूँद एक बताशे पर टपका कर खा जाएँ। इस प्रकार चार बताशे नित्य खाएं। यह सूर्योदय से पहले खाएं। नित्य दूध की एक बूँद बढ़ाते जाएँ। इस प्रकार दस दिन लेकर फिर एक बूँद नित्य कम करते जाएँ। इस प्रकार बीस दिन यह प्रयोग करने से वीर्य का पतलापन, प्रमेह, स्वपनदोष ठीक हो जाते हैं।
क्यो होता है लो ब्लड प्रेशर

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Wednesday 30 March 2016

बहुत सारे औषधिय गुणों से भरपूर है लहसुन।



खाली पेट लहसुन खाना है फायदेमंद
बहुत सारे औषधिय गुणों से भरपूर है लहसुन।
खाली पेट सेवन से लहसुन के गुण बढ़ जाते है।
डायरिया के इलाज के लिए कारगर होता है।
लोग इसे एक औषधि के रूप में जानते हैं।
लहसुन एक जड़ी बूटी है। भोजन को स्‍वादिष्‍ट बनाने वाले मसाले के रूप में इसका इस्‍तेमाल किया जाता है। लेकिन यह वास्‍तव में कई प्रकार की बीमारियों को रोकने और इलाज में काफी कारगर होता है। इसकी गंध बहुत ही तेज और स्वाद तीखा होता है। लहसुन में एलियम नामक एंटीबायोटिक होता है जो बहुत से रोगों के बचाव में लाभप्रद है। नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर कम या ज्यादा होने की बीमारी नहीं होती। एसिडिटी की समस्‍या में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक होता है। कई अध्‍ययनों से यह बात सामने आई है कि खाली पेट लहसुन का सेवन करने से इसकी शक्ति और भी बढ़ जाती है और यह बेहद मजबूत प्राकृतिक एंटीबायोटिक बन जाता है।
खाली पेट लहसुन खाने के फायदे
कई लोगों ने पाया कि लहसुन उच्‍च रक्‍तचाप के लक्षणों से वास्‍तव में आराम पहुंचाता है। यह न केवल रक्‍त परिसंचरण को नियंत्रित करता है बल्कि विभिन्न प्रकार की हृदय संबंधी समस्याओं से भी बचाता है और इसके आपके लीवर और ब्‍लैडर के सभी कार्य भी ठीक से होते हैं।
लहसुन पेट की समस्‍याओं जैसे डायरिया के इलाज के लिए कारगर होता है। साथ ही यह तंत्रिका की समस्‍याओं के लिए भी अद्भुत उपाय है, लेकिन तब जब लहसुन का सेवन खाली पेट किया जाये।
लहसुन पेट की समस्याओं के उपचार में वास्तव में बहुत प्रभावी है - यह अच्‍छे पाचन और भूख को बढ़ाने में मदद करता है। लहसुन के सेवन से पेट के तनाव को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और इस तरह से घबराहट के कारण शरीर में बार-बार पैदा होने वाले एसिड का उत्‍पादन बंद हो जाता है।
लहसुन दुनिया के हर हिस्से में अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए लोकप्रिय है। इसी मुख्‍य कारण से वर्षों से लोग इसे एक औषधि के रूप में जानते हैं।
लहसुन और वैकल्पिक चिकित्सा
लहसुन डिटॉक्सीफिकेशन गुणों के कारण वैकल्पिक चिकित्सा में सबसे कुशल खाद्य पदार्थों में से एक माना जाता है। लहसुन इतना शक्तिशाली होता है कि यह परजीवी और कीड़े से शरीर को साफ करता है और मधुमेह, अवसाद, और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर जैसी बीमारियों से भी बचाता है।
लेकिन अगर आपको एलर्जी की समस्‍या है तो दो महत्‍वपूर्ण चीजों का ध्‍यान रखना होगा, एक तो इसका सेवन कच्‍चा न करें, दूसरा किसी भी प्रकार की त्‍वचा संबंधी समस्‍या, शरीर का उच्‍च तापमान और सिर दर्द होने पर इसका सेवन बंद कर दें।
कुछ अध्ययनों के अनुसार एचआईवी/एड्स के लिए दवा लेने वाले रोगियों के लिए लहसुन का सेवन कभी-कभी खतरनाक भी हो सकता है। इसलिए इस विशेष स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के होने पर आपको बहुत सावधान रहना चाहिए।
लहसुन के अन्य स्वास्थ्य लाभ
लहसुन श्वसन तंत्र के लिए अच्छा होता है: यह टीबी, दमा, निमोनिया, सर्दी, ब्रोंकाइटिस, पुरानी ब्रोन्कियल सर्दी, फेफड़ों में संक्रमण और खांसी की रोकथाम और इलाज के लिए अच्‍छा होता है।
ट्यूबरक्लोसिस की समस्‍या होने पर सुबह खाली पेट लहसुन खाना बहुत फायदेमंद होता है।
दांत के दर्द में लहसुन का सेवन फायदेमंद होता है। यदि कीड़ा लगने से दांत में दर्द हो तो आप लहसुन के टुकड़ों को गर्म करें और उन टुकड़ों को दर्द वाले दांत पर रखकर कुछ देर तक दबाएं। ऐसा करने से दांत का दर्द ठीक हो जाता है।
फ्लू यानी इन्फलुएन्जा में सुबह उठकर गर्म पानी के साथ लहसुन और प्याज का रस पीने से फ्लू से निजात मिलता है।
लहसुन पूरी तरह से एंटीबायोटिक है। इसलिए फोड़े होने पर लहसुन को पीसकर उसकी पट्टी बांधने से फोड़े मिट जाते हैं।
टीबी और खांसी जैसी बीमारियों को दूर करने में लहसुन लाभकारी है। लहसुन के रस की बूंदों को रूई में भिगोकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।
लहसुन के नियमित सेवन करने से आपको कई प्रकार के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ मिलते है और यह आपके स्‍वास्‍थ्‍य की रक्षा करता है। इनकी हीलिंग गुणों को नियमित इस्‍तेमाल करने से आप कुछ ही दिनों में यकीनन अपने समग्र स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार देखने लगेगें।
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उच्च रक्तचाप का घरेलू उपचार

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जिनको हाई बीपी (रक्तचाप ) उनके लिए दवाइयों से बचने के लिए एक सुंदर, सफल उपाय खर्च भी खास नही और फायदा भी पक्का है -हाई बीपी के जो भी बीमार हो या मरीज हो उनके लिए ये आशीर्वाद रूप है -
आपको बस पहले दिन एक दाना किसमिस रात को गुलाब जल मे भीगा देना है और सुबह चबा के खाना है बस गुलाबजल उतना ले जितने मे किसमिस भीग जाए-
फिर दूसरे दिन दो किसमिस के दाने -
तीसरे दिन तीन -
चौथे दिन चार -
पाचवे दिन पाँच -
तो छटे दिन छे -
ऐसे 21 दाने तक बढाते ही चले जाओ -
फिर ये प्रयोग को 10-15 दिन बंद करें दे
इसके बाद अब आपको वापस उसी प्रकार शुरू करना है -
फिर एक से 21 दाने तक -कोर्स शुरू करे जैसे पहले किया था-
बस ऐसे 1-2 कोर्स करें आपकी हाई बीपी चली जाएगी-
आप गुलाबजल बाजारू न ले ध्यान रखे घर में ही बना ले -
गुलाब के पत्तों को पानी मे उबाल कर उसकी भाप जमा कर ले -
ये प्रयोग करे और परिणाम खुद ही देखे -
साथ में ये भी करे :-
अपनी छोटी उंगली के नीचे की रेखा को ऊपर दबाने पे हृदय प्रॉब्लम में अद्भुत लाभ होता है हृदयामृत वटी दो-दो गोली सुबह शाम ले -
किसी भी तरह के हृदय रोगों के लिए लोकी का जूस बहुत ही जादा लाभकारी होता है लोकी के 200 एम् एल जूस में तुलसी व पुदीना के 7-7 पत्ते व 2-3 काली मिर्च साथ में मिला के पिए तो बहुत लाभ होगा-

बालों को घने काले और लम्बे बनाने के चमत्कारी 29 सूत्र

बालों को घने काले और लम्बे बनाने के चमत्कारी 29 सूत्र
1- घी खाएं और बालों के जड़ों में घी मालिश करें।
2- गेहूं के जवारे का रस पीने से भी बाल कुछ समय बाद काले हो जाते हैं।
3- तुरई या तरोई के टुकड़े कर उसे धूप मे सूखा कर कूट लें। फिर कूटे हुए मिश्रण में इतना नारियल तेल डालें कि वह डूब जाएं। इस तरह चार दिन तक उसे तेल में डूबोकर रखें फिर उबालें और छान कर बोतल भर लें। इस तेल की मालिश करें। बाल काले होंगे।
4- नींबू के रस से सिर में मालिश करने से बालों का पकना, गिरना दूर हो जाता है। नींबू के रस में पिसा हुआ सूखा आंवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होते हैं।
5- बर्रे(पीली) का वह छत्ता जिसकी मक्खियाँ उड़ चुकी हो 25 ग्राम, 10-15 देसी गुड़हल के पत्ते,1/2 लीटर नारियल तेल में मंद मंद आग पर उबालें सिकते-सिकते जब छत्ता काला हो जाये तो तेल को अग्नि से हटा दें. ठंडा हो जाने पर छान कर तेल को शीशी में भर लें. प्रतिदिन सिर पर इसकी हल्के हाथ से मालिश करने से बाल उग जाते हैं और गंजापन दूर होता है.
6- कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
7- नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
8- तिल का तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।
9- आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
10- नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा।
11- चाय पत्ती के उबले पानी से बाल धोएं। बाल कम गिरेंगे।
12- बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।
13- दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।
14- 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें। इस उबले हुए पानी से बालों को धोएं। इससे बाल 1 महीने में ही काफी लंबे हो जाते हैं।
15- नीम और बेर के पत्तो को पानी के साथ पीसकर सिर पर लगा लें और इसके 2-3 घण्टों के बाद बालों को धो डालें। इससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे भी होते हैं।
16- लहसुन का रस निकालकर सिर में लगाने से बाल उग आते हैं।
17- सीताफल के बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं।
18- 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाना चाहिए। इससे बाल लंबे और घुंघराले हो जाते हैं।
19- शिकाकाई और सूखे आंवले को 25-25 ग्राम लेकर थोड़ा-सा कूटकर इसके टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को 500 ग्राम पानी में रात को डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे सिर की मालिश करें। 10-20 मिनट बाद नहा लें। इस तरह शिकाकाई और आंवलों के पानी से सिर को धोकर और बालों के
सूखने पर नारियल का तेल लगाने से बाल लंबे, मुलायम और चमकदार बन जाते हैं।
20- ककड़ी में सिलिकन और सल्फर अधिक मात्रा में होता है जो बालों को बढ़ाते हैं। ककड़ी के रस से बालों को धोने से तथा ककड़ी, गाजर और पालक सबको मिलाकर रस पीने से बाल बढ़ते हैं। यदि यह सब उपलब्ध न हो तो जो भी मिले उसका रस मिलाकर पी लें। इस प्रयोग से नाखून गिरना भी बन्द हो जाता है।
21- कपूर कचरी 100 ग्राम, नागरमोथा 100 ग्राम, कपूर तथा रीठे के फल की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 250 ग्राम और आंवले 200 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण के 50 ग्राम चूर्ण में पानी मिलाकर लुग्दी(लेप) बनाकर बालों में लगाना चाहिए। इसके पश्चात् बालों को गरम पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अन्दर की जूं-लींकें मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं।
22- गुड़हल के फूलों के रस को निकालकर सिर में डालने से बाल बढ़ते हैं।
23- गुड़हल के ताजे फूलों के रस में जैतून का तेल बराबर मिलाकर आग पर पकायें, जब जल का अंश उड़ जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें। रोजाना नहाने के बाद इसे बालों की जड़ों में मल-मलकर लगाना चाहिए। इससे बाल चमकीले होकर लंबे हो जाते हैं।
24- बालों को छोटा करके उस स्थान पर जहां पर बाल न हों भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंहे हो जाते हैं।
25- त्रिफला के चूर्ण को भांगरा के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर खरल यानी पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना बन्द जाता है तथा इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
26- आंवलों का मोटा चूर्ण करके, चीनी के मिट्टी के प्याले में रखकर ऊपर से भांगरा का इतना डाले कि आंवले उसमें डूब जाएं। फिर इसे खरलकर सुखा लेते हैं। इसी प्रकार 7 भावनाएं (उबाल) देकर सुखा लेते हैं। प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन से करने से असमय ही बालों का सफेद होना बन्द जाता
है। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने वाला, उम्र को बढ़ाने वाला लाभकारी योग है।
27- भांगरा, त्रिफला, अनन्तमूल और आम की गुठली का मिश्रण तथा 10 ग्राम मण्डूर कल्क व आधा किलो तेल को एक लीटर पानी के साथ पकायें। जब केवल तेल शेष बचे तो इसे छानकर रख लें। इसके प्रयोग से बालों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।
28- 250 ग्राम अमरबेल को लगभग 3 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें। इससे बाल लंबे होते हैं।
29- त्रिफला के 2 से 6 ग्राम चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।
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चुटकी भर ‘जीरा’ से होगा वजन कम, मात्र 15 दिनों के लिए करें ये प्रयोग

वजन कम करने के लिए
आज हम आपको रोज़ाना रसोई घर में इस्तेमाल होने वाले ऐसे ही एक खाद्य पदार्थ से गुणों से अवगत कराएंगे, जो है जीरा। वजन कम करने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते, घंटों तक व्यायाम करना, खान-पान कम कर देना और पसंदीदा चीज़ ही ना खा सकना।
जीरा
इसके बाद भी कोई बड़ा बदलाव नहीं हासिल होता उन्हें, लेकिन अब जीरा वजन कम करने में आपकी मदद करेगा। खाने के स्वाद को बढ़ाने वाला जीरा, खासतौर से दाल में डालने वाला जीरा हर किसी को पसंद है। कुछ लोग चावल पकाते समय भी जीरे का प्रयोग करते हैं, क्योंकि इसके खुशबू भी काफी अच्छी लगती है जो पकवान की सुगंध को बढ़ा देती है।
मसाला मात्र नहीं
लेकिन खाद्य पदार्थों के गुणों को बढ़ाने वाला मसाला मात्र नहीं है जीरा, इसके गुण तो अनेक हैं। इससे हमारे स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं, जिसमें से विशेष है जीरा के प्रयोग से वजन कम करने की प्रक्रिया। एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि जीरा पाउडर के सेवन से शरीर मे वसा का अवशोषण कम होता है जिससे स्वाभाविक रूप से वजन कम करने में मदद मिलती है।
बीमारियों से भी बचाता है
वजन कम करने के साथ साथ यह बहुत सारी अन्य बीमारियों से भी बचाता है, जैसे कोलेस्ट्रॉल कम करता है, हार्ट अटैक से बचाता है, स्मरण शक्ति बढ़ाता है, खून की कमी को ठीक करता है, पाचन तंत्र ठीक कर गैस और ऐंठन ठीक करता है। तो यदि उपरोक्त बताई परेशानी किसी को है, तो रोज़ाना जीरा का प्रयोग भोजन पकाते समय अवश्य करें।
स्वास्थ्य को मिलने वाले लाभ
लेकिन जीरा के प्रयोग से स्वास्थ्य को मिलने वाले जिस खास लाभ की यहां हम बात करने जा रहे है, वह है वजन कम करना, और वह भी मात्र 15 दिनों में। जी हां.... जो काम बड़े से बड़ा प्रयोग करने में अक्षम है, वह जीरा का एक छोटा सा प्रयोग करके दिखाएगा। बस निर्देशानुसार आप इसका प्रयोग करें तो जरूर सफल होंगे।
पहला प्रयोग
दो बड़े चम्मच जीरा एक गिलास पानी मे भिगो कर रात भर के लिए रख दें। सुबह इसे उबाल लें और गर्म-गर्म चाय की तरह पियें। बचा हुआ जीरा भी चबा लें। इसके रोजाना सेवन से शरीर के किसी भी कोने से अनावश्यक चर्बी शरीर से बाहर निकल जाती है।
दूसरा प्रयोग
किंतु यदि आपको यह प्रयोग अधिक पसंद ना आए, तो जीरे को खाद्य पदार्थ में अच्छी मात्रा में प्रयोग करें और रोज़ाना इस्तेमाल करें। एक अन्य उपाय के अनुसार आप 5 ग्राम दही में एक चम्मच जीरा पाउडर मिलाकर यदि इसका रोज़ाना सेवन करें, तो वजन जरूर कम होगा।
तीसरा प्रयोग
3 ग्राम जीरा पाउडर को पानी में मिलाएं इसमें कुछ बूंदें शहद की डालें फिर इसे पी जाएं। वेजिटेबल यानि सब्जियों के उपयोग से सूप बनाएं, इसमें एक चम्मच जीरा डालें। या फिर ब्राउन राइस बनाएं इसमें जीर डालें यह सिर्फ इसका स्वाद ही नहीं बढ़ाएगा बल्कि आपका वजन भी कम करेगा।
चौथा प्रयोग
अदरक और नींबू दोनों जीरे की वजन कम करने की क्षमता को बढ़ाते हैं। इसके लिए गाजर और थोड़ी सब्ज़ियों को उबाल लें इसमें अदरक को कद्दूकस यानि कि बिल्कुल बारीक कर लें, साथ ही ऊपर से जीरा और नींबू का रस डालें और इसे रात में खाएं।
15 दिनों के पश्चात कम होगा वजन
यदि प्रतिदिन आप बताए गए इन चार उपायों में से दो भी अपना लें, तो यकीनन आपका वजन 15 दिनों के पश्चात कम होता दिखाई देगा। विशेषज्ञों के अनुसार जीरे में मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीकडेंट चयापचय को बढ़ाता है, जिससे पेट की चर्बी कम करने में मदद मिलती है। यह चर्बी ही तो मोटापे को दावत देती है, जो जीरे के प्रयोग से खत्म की जा सकती है।
अन्य फायदे
इसके अलावा जीरा खाने को पचाने में मदद करता है जिससे गैस कम बनती है। ऐंठन और पेट फूलना ख़राब पाचन की समस्या हैं। जीरा गैस को बनने से रोकता है जिससे पेट और आंतों में अच्छे से खाना पच जाता है।
हार्ट के मरीजों के लिए सही
हार्ट के मरीजों के लिए भी बेहद फायदेमंद है यह जीरा, जीरा कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही फैट को शरीर में बनने से रोकता है। इसलिए यह वजन कम करने में मदद करता है साथ ही हार्ट अटैक से भी बचाता है।
अन्य फायदे भी
चलिए यह तो रही सेहत की बात, लेकिन जीरा सौंदर्य भी निखारेगा यह नहीं जानते होंगे आप। दरअसल जीरे में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा पर पड़े विभिन्न दाग-धब्बों को हल्का करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा त्वचा का काला पड़ जाना या मुरझा जाना, आदि समस्याओं को हल भी जीरे के कुछ घरेलू नुस्खों से हासिल किया जा सकता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद
जीरे में विटामिन ‘ई’ पाया जाता है, जो त्वचा के लिए काफी लाभदायक होता है। इसके अलावा जीरे में कुछ ऐसे तत्व भी मौजूद होते हैं जो त्वचा को संक्रमण रहित बनाते हैं। यदि किसी के चहरे पर कोई दाग-धब्बे, पिंपल या किसी प्रकार का कोई इंफेक्शन हो गया हो, तो थोड़ा-सा जीरा पीसकर किसी भी फेस पैक में मिलाकर लगा लें, जल्द से जल्द आराम मिलेगा।
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जवान बनाता है
लेकिन जीरे के प्रयोग से मिलने वाला एक और फायदा आपको चौंका कर रख देगा। इसके प्रयोग से आप सौंदर्य को निखार सकते हैं, यह आपको जवान बना सकता है।
संक्रमणों को काटता है
जी हां.... जिस प्रकार से जीरे में मौजूद विटामिन ई तमाम तरह के त्वचा संबंधी संक्रमणों को काटता है, उसी प्रकार से यह उन चीज़ों से भी छुटकारा दिलाता है जो त्वचा में ढीलापन लाते हैं। क्योंकि त्वचा ढीले होने के बाद ही झुर्रियां बनती हैं, जो बुढ़ापे की निशानी होती हैं।
जीरे में विटामिन ई
जीरे में मौजूद विटामिन ई चेहरे की त्वचा में कसाव लाता है, उसका निखार बढ़ाता है और आपको हमेशा जवान दिखने में मदद करता है। इसके लिए आपको अधिक मेहनत करने की भी जरूरत नहीं है, हफ्ते में एक बार या दो हफ्ते के बाद जब भी आप फेस पैक लगाएं उसके चुटकी भर जीरे का पाउडर मिला लें।
नियमित मात्रा में ही डालें
ध्यान रहे, इसे नियमित मात्रा में ही डालें, क्योंकि इसके अधिक होने से प्रभाव उलटा भी हो सकता है। फेस पैक में जीरा मिलाकर लगाने से आपको यकीनन कुछ समय में ही आपको चेहरे की वो पहले वाली रंगत दिखनी आरंभ हो जाएगी।
खुजली से आराम
जिस प्रकार से जीरा त्वचा को निखारने का काम करता है, संक्रमण रहित बनाता है, उसी प्रकार से यह हमें खुजली जैसी परेशानी से भी राहत दिलाता है। यदि किसी को निरंतर खुजली रहने की शिकायत हो तो थोड़े से पानी में जीरा उबाल लें, बाद में उसे छानकर नहाने वाले पाने में मिलाकर नहा लें। यह प्रयोग जरूर आराम दिलाएगा...
बालों के लिए
अब अंत में बताते हैं जीरा आपके बालों के लिए कैसे फायदेमंद है। जीरा में अच्छी मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और बालों की ग्रोथ अच्छी करने वाला तैलीय तत्व पाया जाता है। अगर आपको बालों को लंबा एवं घना बनाने के लिए जीरा का प्रयोग करना है, तो इसके लिए आपको रसोई घर में इस्तेमाल होने वाला जीरा नहीं, बल्कि काला जीरा चाहिए होगा।
काला जीरा
जी हां... काला जीरा बालों को मजबूत एवं लंबा बनाने के लिए उपयोगी है। आप इसे विभिन्न प्रकार से प्रयोग में ला सकते हैं। आप बालों पर यदि ऑलिव ऑयल इस्तेमाल करते हैं तो उसमें काला जीरा मिलाकर लगा सकते हैं।
बालों के झड़ने की परेशानी
यदि किसी को बालों के झड़ने की परेशानी है तो, बाल धोने के बाद काला जीरा वाला तेल उस हिस्से पर सीधा लगाएं जहां बालों की संख्या निरंतर कम हो रही हो। ऐसा रोज़ाना करेंगे, तो जल्दी असर दिखाई देगा। इसके अलावा आप रोज़ाना काला जीरा का दवा की तरह सुबह-शाम सेवन भी कर सकते हैं।click here

जानिये योग से थायराइड का इलाज

परिचय-

          थायरॉयड गले का रोग है। थायरॉयड (अवटू) ग्रंथि स्वरयंत्र (आवाज यंत्र) के ठीक नीचे सांस की नली के अगल-बगल में बाहर की ओर होती है। थायरॉयड ग्रंथि के अन्दर से थायरोक्सिन (टी-4) और ट्रीआयोड थायरोक्सिन (टी-4) नामक हार्मोन्स बड़ी मात्रा में निकलते रहते हैं। इन दोनों हार्मोन्स का शरीर की चयापचयी (पाचनक्रिया) दर पर तेज प्रभाव पड़ता है। इसमें ऊतकों का निर्माण, ऊर्जा शक्ति का भंडारण, ऊतकों का मिलना और कोषों में उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग करने की क्षमता रहती है। साथ ही यह केलसीटोनिन नामक एक अन्य हार्मोन्स भी बाहर छोड़ता है, जो कैल्शियम की चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे निकलने वाले हार्मोन्स की कमी के कारण चयापचायी क्रिया सामान्य से 50 प्रतिशत कम हो जाती है, जबकि इससे निकलने वाले हारमोन्स में अधिकता होने से पाचनक्रिया (चयापचाय) सामान्य से 60 प्रतिशत अधिक हो जाती है। थायरॉयड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन्स का नियंत्रण पिट्युटरी ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन्स से होता है।
अवटु अति क्रियता (हाइपरथाइरोडिज्म)-
          थायरॉयड ग्रंथि से हार्मोन्स का अधिक मात्रा में निकलना नेत्रोत्सेधी गलगण्ड (गले में गांठ) या ग्रेव्ज डिसीज नामक रोग के कारण भी हो सकता है। यह रोग अधिकतर स्त्रियों में होता है। इस रोग का एक मुख्य लक्षण गलगण्ड या बढ़ी हुई थायरॉयड होता है। इसमें थायरॉयड ग्रंथि अपने वास्तविक आकार से दो तिहाई बढ़ जाती है। इस रोग के 2 अन्य लक्षण हैं-
  • इस रोग में आंखों के पिछले भाग में शोथ (सूजन) हो जाती है जिससे आंखें बाहर की ओर आ जाती हैं। इसे नेत्रोत्सेध कहते हैं।
  • असामान्य रूप से ऊंची चयापचयी दर। इस उच्च चयापचयी दर के विभिन्न प्रभाव पड़ते हैं। जिसमें नाड़ी की गति तेज होना, शरीर में उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) होना, असहनीय ताप होना (शरीर में गर्मी बढ़ जाना) तथा त्वचा पर लालिमा धब्बे होना आदि रोग उत्पन्न होता है। इसमें व्यक्ति का शारीरिक वजन कम होने लगता है तथा स्नायविक ऊर्जा अधिक हो जाती है, जिससे व्यक्ति में उत्तेजना उत्पन्न होती है और उसके हाथों में कंपन उत्पन्न होता है।
अवटु अल्प क्रियता (हाइपोथाइरोछिज्म)-
          थायरॉयड के हार्मोन्स का अल्पस्राव भ्रूण अवस्था, शैशवकाल या युवावस्था के दौरान होता है। इसे बौनापन तथा श्लेष्मशोथ (मिक्सीडीमा) कहा जाता है। बौनेपन के 2 सामान्य लक्षण हैं- बौनापन और मंदबुद्धि। इसमें यौन का मंद विकास तथा त्वचा पर पीलापन भी दिखाई देता है। वसा की सपाट गदि्दयों के कारण गोलाकार चेहरा, मोटी नाक, बड़ी, मोटी व बाहर निकली जीभ तथा उभरा हुआ पेट बौनेपन की विशेषताएं है। बौनेपन में शरीर का तापमान कम, हृदय की गति धीमी तथा आम सुस्ती भी देखने को मिलती है। बौनेपन की तरह ही श्लेष्माशोथ या मिक्सीडीमा रोग में भी हृदय की गति कम होना, शरीर का तापमान कम होना, ठंड के प्रति संवेदनशीलता (ठंड को जल्द महसूस करना), बाल व त्वचा का ठंडा होना, मांसपेशियां कमजोर होना, आम सुस्ती तथा वजन का बढ़ना आदि लक्षण मिलते हैं। हृदय की गति के अधिक समय तक कम रहने से हृदय को अधिक कार्य करना पड़ता है,  जिससे हृदय का आकार बढ़ जाता है। मिक्सीडीमा रोग पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में अधिक होता है।
योग के द्वारा रोग की चिकित्सा-
          गले के इस रोग में प्रतिदिन योगक्रिया का अभ्यास करने से रोग में जल्द आराम मिलता है। इससे शारीरिक व मानसिक दोनों में लाभ होता है।
गर्दन के लिए योगक्रिया-
सर्वांगासन, मत्स्यासन, विपरीतकरणी मुद्रा, सूर्य नमस्कार, पवन मुक्तासन का अभ्यास करें।
अज्जयी और नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करें।
अभ्यास का समय
योग का अभ्यास प्रतिदिन 20 मिनट करें।
बंध
इसमें जलंधर बंध का अभ्यास करें।
प्रेक्षा (मन का ध्यान)
अपने ध्यान को विशुद्धि चक्र पर केन्द्रित करें और मन में नीले रंग के कमल को अनुभव करें।
अनुप्रेक्षा (मन के विचार)
ध्यान लगाकर बैठे और सांस क्रिया करते हुए मन में विचार करें- ´´मेरी थायरॉयड ग्रंथि धीरे-धीरे ठीक हो रही है। थायरॉयड ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन्स समान हो रहा है तथा उसके बिगड़ने से उत्पन्न रोग ठीक हो रहे हैं।´´ इस तरह का मन में चिंतन करें।
यह रोग अधिकतर शरीर में आयोडीन की मात्रा कम होने से होता है, इसलिए भोजन में आयोडीन की मात्रा अधिक लें।
विशेष-
          योगक्रिया का अभ्यास योग चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें। आसन व प्राणायाम करने के बाद प्रेक्षाध्यान का अभ्यास करें। प्रेक्षा ध्यान के लिए किसी आसन में बैठ जाएं और अपने मन में कल्पना करें कि कंठ मूल के पास स्थित विशुद्धि चक्र है, जहां नीले रंग का कमल का फूल है।

Tuesday 29 March 2016

ज़िन्दगी

जो चाहा
कभी पाया नहीं,

जो पाया
कभी सोचा नहीं,

जो सोचा
कभी मिला नहीं,

जो मिला
रास आया नहीं,

जो खोया
वो याद आता है,

पर जो पाया
संभाला जाता नहीं ,

क्यों
अजीब सी पहेली है ज़िन्दगी,

जिसको
कोई सुलझा पाता नहीं...

जीवन में
कभी समझौता करना पड़े
तो कोई बड़ी बात नहीं है,

क्योंकि,

झुकता वही है
जिसमें जान होती है,

अकड़ तो
मुरदे की पहचान होती है।

ज़िन्दगी जीने के
दो तरीके होते है!

पहला:
जो पसंद है
उसे हासिल करना सीख लो.!

दूसरा:
जो हासिल है
उसे पसंद करना सीख लो.!

जिंदगी जीना
आसान नहीं होता;

बिना संघर्ष
कोई महान नहीं होता.!

जिंदगी
बहुत कुछ सिखाती है;

कभी हंसती है
तो कभी रुलाती है;

पर जो हर हाल में खुश रहते हैं;

जिंदगी उनके आगे
सर झुकाती है।

चेहरे की हंसी से
हर गम चुराओ;

बहुत कुछ बोलो
पर कुछ ना छुपाओ;

खुद ना रूठो कभी
पर सबको मनाओ;

राज़ है ये जिंदगी का
बस जीते चले जाओ।

"गुजरी हुई जिंदगी
कभी याद न कर,

तकदीर मे जो लिखा है
उसकी फर्याद न कर...

जो होगा वो होकर रहेगा,

तु कल की फिकर मे
अपनी आज की हसी
बर्बाद न कर...

हंस मरते हुये भी गाता है
और मोर नाचते हुये भी
रोता है....

ये जिंदगी का फंडा है बॉस

दुखो वाली रात
निंद नही आती

और खुशी वाली रात
कौन सोता है...

लो ब्लड प्रेशर लक्षण और उपचार / Yoga for low blood pressure



 ⁠⁠⁠क्यो होता है लो ब्लड प्रेशर
जब किसी के शरीर में रक्त-प्रवाह सामान्य से कम हो जाता है तो उसे निम्न रक्तचाप या लो ब्लड प्रेशर कहते है। नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे होने से कोई फर्क नही पड़ता, लेकिन ऊपर 90 से कम हो जाए तो उसे लो ब्लड प्रेशर, निम्न रक्तचाप कहते हैं। अक्सर लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। जबकि लो ब्लड प्रेशर में शरीर में ब्लड का दबाव कम होने से आवश्यक अंगों तक पूरा ब्लड नही पहुंच पाता जिससे उनके कार्यो में बाधा पहुंचती है। ऐसे में दिल, किडनी, फेफड़े और दिमाग आंशिक रूप से या पूरी तरह से काम करना भी बंद कर सकते हैं। आइए जानें क्या है लो ब्लड प्रेशर के कारण, लक्षण और उपाय-
क्या हैं लक्षण
• लो ब्लड प्रेशर के मरीजों को आमतौर पर चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा आना, कुछ पल के लिए बेहोशी आना आदि प्रमुख लक्षण हैं।
• ऐसे मरीज के हाथ-पैर ठंडे रहते हैं।
• हार्ट में मिस्ड बीट्स महसूस की जाती है।
• इस तरह के मरीजों के चेकअप में ब्लड प्रेशर में काफी अंतर होता हैं। अगर मरीज लेटा हो, बैठा हो और बाद में खड़ा हो, तो उसके ब्लड प्रेशर में काफी बदलाव आ जाता है।
क्यों होता है ब्लड प्रेशर कम
लो ब्लड प्रेशर के पीछे कई कारण हो सकते हैं-
1. दिल की बीमारी- ब्लड प्रेशर कम होना दिल की गंभीर बीमारी से जुड़ा होता है, दिल की बीमारी से हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे हार्ट पर्याप्त खून को पम्प नहीं कर पाता और हमारा बीपी लो रहने लगता है। दिल के मरीजों और एनीमिया के शिकार लो बीपी को लेकर सावधान रहें।
2. आर्थोस्टेटिक हाइपरटेंशन टाइप- इसमें मरीज को खड़े होने पर चक्कर आते हैं, क्योंकि उसका ब्लड प्रेशर एकदम से 20 पॉइंट नीचे आ जाता है। यह नर्वस सिस्टम पर आधारित होता है। लेकिन कई बार दवाओं के साइड इफेक्ट से या एलर्जी से भी हो सकती है।
इसके अलावा शरीर के अंदरूनी अंगों से खून बह जाने या खून की कमी से, खाने में पौष्टिकता की कमी या अनियमितता से, लंग या फेफड़ों के अटैक से, हार्ट का वॉल्व खराब हो जाने से लो बीपी हो सकता हैं। अचानक सदमा लगने, कोई भयावह दृश्य देखने या खबर सुनने से भी लो बीपी हो सकता है।
क्या है इलाज
सबसे पहले लो ब्लड प्रेशर की आशंका होने पर लेटकर और खड़े होकर दोनों तरीको से बीपी चैक कराए। तुरंत किसी डॉक्टर को दिखाए। अगर किसी दवा से लो ब्लड प्रेशर हो रहा है तो डॉक्टर से सलाह लेकर दवा की मात्रा कम या पूरी तरह बंद कर दे।
पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें, अलग-अलग किस्म के फलों, सब्जियों, अनाज, कम फैट वाले मांस और मछली को भोजन में शामिल करें। कई बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करें और खाने में आलू, चावल और ब्रेड जैसे ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों का प्रयोग कम कर दे। स्मोकिंग से परहेज करें, एक्टिव रहें, ज्यादा पसीना निकालने वाले कामों से बचें, धूप में ज्यादा न घूमें और पर्याप्त मात्रा में नमक खाएं और ज्यादा टेंशन न करें तो लो बीपी से बचा जा सकता है।
जब ब्लडप्रेशर लो है तो क्या करें
• तुरंत बैठ या लेट जाएं, मुट्ठियां भींचें, बांधें, खोलें, पैर हिलायें।
• नमक या नमक-चीनी वाला पानी या चाय पीयें। पैरों के नीचे दो तकिए लगाकर लेटें।
• जो लोग पहले से हाई बीपी की दवा खा रहे हैं, वे दवा खाना बंद कर दें।
इन सब के अलावा तुरन्त डॉक्टरी सलाह लें।

निम्न रक्तचाप के लिए योग  / Yoga for low blood pressure
उषापान
नमन मुद्रा
योग मुद्रा
मंडूकासन
चक्रासन
हलासन
धनुरासन

प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम
उज्जायी प्राणायाम
सिंहासन  

एक सरल और कारगर उपचार। जिससे आपकी डायबिटीज कण्ट्रोल में रहेगी।

आजकल डायबिटीज आम हो गयी है। लेकिन इससे घबराने की बिलकुल आवश्यकता नहीं है। भारत में पहले सबसे ज्यादा रोगी डायबिटीज के होते थे। पर अब चीन और अमेरिका में भी इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। जल्द ही इसका उपचार संभव होने वाला है। तब तक हम आपको बताते है एक सरल और कारगर उपचार। जिससे आपकी डायबिटीज कण्ट्रोल में रहेगी।

सामग्री : 1 निम्बू , 4 मुनक्के।

विधि : रात को सोने से पहले एक गिलास में 1 निम्बू निचोड़ ले और उसके रस में 4-5 मुनक्के डाल कर भीगो दे ( रस में पानी नहीं मिलाना है)। सुबह नित्यक्रिया के बाद उन भीगे हुए मुनक्कों को चबा चबा के खा लेवे और नींबू का रस पूरा पी ले। फिर आधे घंटे तक कुछ भी खाना पीना नहीं है।

यह आपको रोज नहीं करना है। एक दिन छोड़ कर एक दिन। और एक समय ही करना है दिन में।

आपका शुगर हमेशा कण्ट्रोल में रहेगा।

आओडीन युक्त नमक के पीछे का पूरा खेल पढ़े ,और सेंधा नमक के लाभ जानिये । Rajiv Dixit



पहले तो आप ये जान लीजिये कि नमक के मुख्य कितने प्रकार होते हैं !!

एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock slat) !!

ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ! मात्र 2,3 रूपये किलो मे सब जगह मिल जाया करता था !

फिर अचानक से ऐसा क्या हुआ की लोग आओडीन युक्त समुद्री नमक खाने लगे ??

हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो(अनपूर्णा,कैपटन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ ,आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है ! ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई !! और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था ! उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो ! और आज तो 12 रूपये को भी पार कर गया है !

एक बार राजीव भाई ने किसी MP के माध्यम से संसद मे सवाल पुछवाया कि पूरे देश मे आओडीन की कमी से जितनी बीमारियाँ आती है जैसे घेंघा ! उसके मरीज कितने है ? पूरे देश मे ! तो सरकार की तरफ से उत्तर आया कि भारत मे कुल जितनी बीमारियो के कुल मरीज है उसमे से सिर्फ 0.3 % घेंघा के मरीज है ! और वो भी कहाँ है भारत मे पर्वतीय इलाके मे जहां भारत की सबसे कम आबादी रहती है ! ऐसे ही राजीव भाई ने एक बार सरकार को पत्र लिखा की मुझे उन मरीजो की सूची चाहिए जिनको आओडीन की कमी से घेंगा हुआ ! सूची कभी नहीं आई !!

अब जो सबसे अजीब बात है वो ये कि आओडीन हर नमक मे होता है बिना आओडीन का कोई नमक नहीं होता है !! अब आप कहेंगे फिर इस समुद्री नमक से क्या परेशानी है ??

एक तो जैसा हमने ऊपर बताया कि आयुर्वेद के अनुसार समुद्री नमक अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है इसके अतिरिक्त कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है !! अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है ! दूसरा होता है industrial iodine ! ये बहुत ही खतरनाक है ! तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है ! जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है ! ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है !

।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़,आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ! जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है ! ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ! और ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है ! श्री राजीव बताते है कि उन्होने कितने मरीज जो नपुंसक थे उनको समुद्री नमक छोड़ने को कहा और सेंधा नमक का प्रयोग करने को कहा मात्र 1 वर्ष मे उनकी समस्या का हल हो गया !

ऐसे ही एक बार राजीव भाई के गुरु थे जिनका नाम था प्रोफेसर धर्मपाल जी ! उनको एक बार लकवे (paralysis) का अटैक आ गया !! उनकी आवाज तक चली गई और हाथ पैर एक जगह रुक गए उनके बाकी शिष्य धर्मपाल जी को अस्पताल ले गए वहाँ डाक्टरों से भी कुछ नहीं हुआ तो डाक्टरों उनके हाथ पैर बांध दिये ! राजीव भाई को जैसे ही खबर मिली राजीव वहाँ पहुंचे और उनको वहाँ से उठा कर घर ले आए ! और उनकी दो होमेओपेथी दवाइयाँ देना शुरू की ! मात्र 3 दिन मे उनकी आवाज वापिस आ गई ! और एक सप्ताह बाद वो ऐसे दिखने लगे कि मानो कभी अटैक ही ना आया हो !
तो राजीव भाई बताते है कि मैंने होमेओपेथी मे उस दवा को दिया जो सेंधा नमक ना खाने से शरीर मे आने वाली कमियो को पूरा करती है !! इसकी जगह अगर सेंधा नमक वाला भी पिलाता तो वो ठीक हो जाते लेकिन उनकी हालत ऐसे थी की मात्र दवा की बूंध ही अंदर जा सकती थी तो राजीव भाई ने वो पिलाया और धर्मपाल जी ठीक हुये !!

कुल मिलकर कहने का अर्थ यही है कि आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आओडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आओडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।

सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है ।! क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline ) !! क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है ! और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ! ये नामक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है ! और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है ! तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??

इसके अतिरिक्त सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis ) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है ! जबकि समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है ! राजीव भाई तो यहाँ तक कहते है कि अगर आपके 2 बच्चे है तो एक बच्चे को 11 साल तक समुद्री नमक पर पाल के देखो और दूसरे को सेंधा नमक पर !! उनके शारीरिक और मानसिक परिवर्तन देख आपको खुद पर खुद अंदाजा हो जाएगा ! कि ये समुद्री नमक कितना हानिकारक है और सेंधा कितना फायदेमंद !

दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , यही बेचा जा रहा है डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया ! और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे !! वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया !

अंत आपके मन मे एक और सवाल आ सकता है कि ये सेंधा नमक बनता कैसे है ??

तो उत्तर ये है कि सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है !! पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’ ,लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है ! जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है ! मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !! क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है !! और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !!

स्नान क्यों और कैसे करे तथा उसके लाभ ( bathing secrets)


1) मालिश के आधे घंटे बाद शरीर को रगड़-रगड़ कर स्नान करें।
2) स्नान करते समय पहले सिर पर पानी डालें फिर पूरे शरीर पर, ताकि सिर आदि शरीर के ऊपरी भागों की गर्मी पैरों से निकल जाय।
3) 'गले से नीचे के शारीरिक भाग पर गर्म (गुनगुने) पानी से स्नान करने से शक्ति बढ़ती है, किंतु सिर पर गर्म पानी डालकर स्नान करने से बालों तथा नेत्रशक्ति को हानि पहुँचती है।'
(बृहद वाग्भट, सूत्रस्थानः अ.3)
4) स्नान करते समय मुँह में पानी भरकर आँखों को पानी से भरे पात्र में डुबायें एवं उसी में थोड़ी देर पलके झपकायें या पटपटायें अथवा आँखों पर पानी के छींटे मारें। इससे नेत्रज्योति बढ़ती है।
5) प्रतिदिन स्नान करने से पूर्व दोनों पैरों के अँगूठों में सरसों का शुद्ध तेल लगाने से वृद्धावस्था तक नेत्रों की ज्योति कमजोर नहीं होती।
》 स्नान के प्रकार
● मन:शुद्धि के लिए
1) स्नान सूर्योदय से पहले ही करना चाहिए। ब्रह्म स्नानः
2) ऋषि स्नानः आकाश में तारे दिखते हों तब ब्राह्ममुहूर्त में।
3) दानव स्नानः सूर्योदय के बाद चाय-नाश्ता लेकर 8-9 बजे।
4) रात्रि में या संध्या के समय स्नान न करें। ग्रहण के समय रात्रि में भी स्नान कर सकते हैं। स्नान के पश्चात तेल आदि की मालिश न करें। भीगे कपड़े न पहनें।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
5) दौड़कर आने पर, पसीना निकलने पर तथा भोजन के तुरंत पहले तथा बाद में स्नान नहीं करना चाहिए। भोजन के तीन घंटे बाद स्नान कर सकते हैं।
6) बुखार में एवं अतिसार (बार-बार दस्त लगने की बीमारी) में स्नान नहीं करना चाहिए।
7) दूसरे के वस्त्र, तौलिये, साबुन और कंघी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
8) त्वचा की स्वच्छता के लिए साबुन की जगह उबटन का प्रयोग करें।

केला खाने के 41 लाभ (Benefits of banana)

केले - में #थाइमिन, #रिबोफ्लेविन, #नियासिन और #फॉलिक एसिड के रूप में #विटामिन #ए और विटामिन #बी पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। इसके अलावा केला #ऊर्जा का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। सुबह नाश्ते में यदि एक केला खा लिया जाए तो लंच तक भूख लगने की संभावना नहीं रहती। अगर आप खेल से जुड़े हुए हैं, तो आप केला डाइट में जरूर शामिल करें। वर्कआउट करने के बाद आपकी बॉडी में एनर्जी की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में केला ही ऐसा फल है, जो आपकी बॉडी एनर्जी को फिर से लौटाता है
1. भारत केला की खेती में अग्रणी देश है, भारत दुनिया का करीब 23% केला उत्पादन करता है, यहाँ साल भर में करीब 14.2 मिलियन टन केला की पैदावार होती है. महाराष्ट्र भारत में सर्वाधिक केला पैदा करता है.

2. केला सभी प्रसिद्ध खिलाडियों का प्रिय भोजन रहा है, दो केला आपको 90 मिनट तक उर्जावान रखता है. अगर आपने गौर किया होगा तो टीवी पर जरुर देखा होगा कि खिलाडी ब्रेक में केला जरुर खाते है ,इसका एक कारण यह भी है कि केला शरीर को धीरे धीरे उर्जा देता रहता है और उर्जा-स्तर को बनाये रखता है.

3. केले में #ट्राईप्टोफान एमिनो एसिड होता है जो कि #सेरेटोंनिन नामक हार्मोन उत्पन्न करता है जिसकी वजह से मूड अच्छा होता है और साथ ही साथ तनाव (Stress) भी दूर होता है.

4. केला में #पोटैशियम भरपूर पाया जाता है जोकि रक्त-संचार ठीक रखता है जिससे #ब्लड-प्रेशर ठीक रहता है.

5. परीक्षा से पहले केला खाना अच्छा होता है क्योंकि इसमें पाए जाने वाला पोटैशियम दिमाग को चुस्त और अलर्ट रखता है.

6. केला विटामिन B6 का एक बढ़िया स्रोत है जोकि नर्वस सिस्टम को सबल बनाता है, इसके अतिरिक्त याददाश्त और दिमाग तेज करता है.

7. केले की खेती करीब 8000 ईसा पूर्व से होती चली आ रही है, यह माना जाता है कि संभवतः अफ्रीका का पापुआ न्यू गिनिया केला का जन्मस्थल है.

8. केला मधुर, पाचक, वीर्यवर्धक, मांस की वृद्धि करने वाला, भूख-प्यास शांत करने वाला होता है.

9. हड्डी मजबूत बनाना होतो केला प्रतिदिन खाइए ,केले में खास प्रोबायोटिक बैक्टीरिया होता है जिसका कार्य होता है आपके खाने से कैल्शियम को सोखना और हड्डियों को मजबूत करना

10. केला पोषक तत्वों का खजाना है, केले में थाईमिन, रिबोफ्लेविन, नियासिन, फोलिक एसिड, विटामिन A, B, B6, आयरन, कैल्शियम, मैगनिशियम, पोटैशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं.

11. केले का प्रोबायोटिक बैक्टीरिया पाचन भी ठीक करता है, डायरिया में ये खास फायदेमंद है, केले में पाए जाने वाला पेसटिन तत्व कब्ज को दूर रखता है.

12. अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए केला का सेवन अवश्य करें, इसमें पाए जाने वाला कैरोटिनॉएड एंटीओक्सिडेंट रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है और आपको संक्रमण से बचाता है.

13. मैग्निशियम की वजह से केला जल्दी पच जाता है और मेटोबोलिस्म (उपापचय) को दुरुस्त रखता है, कोलेस्ट्रोल कम करता है.

14. केला ब्लड-शुगर लेवल को नियंत्रित रखता है .

15. केले में आसानी से रक्त में मिलने वाला आयरन तत्व होता है, केला खाने से खून में हीमोग्लोबिन बढ़ता है इसलिए एनीमिया (रक्ताल्पता) के रोगियों को केला अवश्य खाना चाहिए.

16. दुनिया में केले की 300 से भी ज्यादा किस्मे है, केले की लम्बाई 4 इंच से 15 इंच तक पाई जाती है.

17. ज्यादा केला खाने से अपच हो गयी होतो इलायची खाएं, आराम मिलेगा.

18. केले पर पड़ने वाले भूरे दाग का मतलब होता है कि केले का स्टार्च पूर्णतः प्राकृतिक शर्करा में बदल चुका है, ऐसा केला आसानी से पचता है.

20.  . केला जठराग्नि बढाता है साथ ही आमाशय, आंतो की सूजन दूर करने में भी केला लाभप्रद माना जाता है.

19. केला एसिडिटी दूर करता है और पाचन प्रक्रिया ठीक रखता है.

21. शराब ज्यादा पीने की वजह से हुए हैंगओवर को ठीक करने के लिए केला-शेक पियें.

22. दिल को मजबूत रखना होतो, 2 केला शहद मिला कर खाएं.

23. वजन बढ़ाने के लिए केला खास असरकारक होता है इसलिए केला ,दूध ,शहद और चुटकी भर इलायची पाउडर मिलाकर प्रतिदिन सुबह केला-शेक पियें या केला खाकर ऊपर से दूध पियें.

24.बच्चों को केला अवश्य खिलाएं क्योंकि यह पोषक तत्वों ,विटामिन ,खनिज तत्वों का खजाना है जिसकी बढ़ते बच्चों को खास आवश्यकता होती है .

25. बवासीर के उपचार के लिए केले के बीच में चीरा लगा के एक चने के बराबर देसी कपूर रख कर केला खा लें, लाभ होगा.

26. खाने के बाद प्रतिदिन केला खाने से मांसपेशियां मजबूत होती है, पाचन सुगम होता है.

27. मुलायम, चमकदार बाल चाहियें हो तो केला में अवोकेडो या कोको पाउडर, नारियल का दूध मिलाकर बालों में 15 मिनट लगे रहने दें.

28. केला शरीर में हर प्रकार की सूजन को दूर करता है.

29. जले हुए स्थान पर केला मसल कर लगायें, जलन शांत होगी.

30. ड्राई आँखों की समस्या में केले का सेवन अवश्य करें, यह सोडियम का स्तर सामान्य करता है और कोशिकाओं में द्रव प्रवाहित करता है.

31. चोट से खून बहना न रुके तो केले के डंठल का रस लगायें.

32. पित्त शांत करने के लिए पका केला देशी घी के साथ खाएं.

33. केला पेट के अल्सर के लिए बहुत राहत देता है, यह पेट में मोटी रक्षक म्युकस लेयर बनाता है जोकि घाव को ठीक करने में सहायक होती है, साथ ही प्रोटीज तत्व पेट में पाए जाने वाले अल्सरकारक बैक्टीरिया से मुक्ति दिलाता है.

34. मुंह में छाले के उपचार के लिए गाय के दूध की दही के साथ केला सेवन करें.

35. कच्चा केला मसल कर उसमे दूध मिलाकर चेहरे पर लगायें, चंमक और निखार आयेगा.

36. 2 केला दही के साथ खाने से पेचिश, दस्त में आराम मिलता है.

37. शारीरिक श्रम करने वालो को केला सेवन मांशपेशियों की जकड़न से बचाता है.

38. केला किडनी के कैंसर से रक्षा करता है.

39. रूखी त्वचा के लिए पका केला मसल कर चेहरे पर लगायें, 20-25 मिनट लगे रखने दें फिर हलके गर्म पानी से धो लें, चेहरा मुलायम, स्निग्ध हो जायेगा.

40. फटी एड़ियों के उपचार के लिए केले का गूदा एड़ियों पर 10 मिनट लगे रखने दें फिर धो लें.

41. कील, मुहांसों की समस्या से निजात पाने के लिए एक केला को मसल कर, शहद, नींबू रस मिलाकर चेहरे पर लगायें, लाभ होगा.

स्वदेशी भारत


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